Saturday 27 August 2011

गुलामी भ्रष्टाचार की ......


तोड़ दे जंजीरों को  माँ भारती को आज़ाद करे, भरष्टाचार की गुलामी को जड  से ही हम खतम करे 
क्या था गुलाम गोरो ने , मानसिकता को था गुलाम किया था   

 मात् भक्तो ने दे के बलि अपने सिरों की , आजादी के सपने को पूरा किया था
आज मगर क्या आज़ाद है हम, जरा पूछो प्रशन अपने स्वाभिमान से
तोड़ दे जंजीरों को  माँ भारती को आज़ाद करे, भरष्टाचार की गुलामी को जड  से ही हम खतम करे ........


गांधीजी ने अहिंसा का दिया जो हत्यार है, आज फिर रन मे ले के खड़ा वोह एक नया अवतार है


नमन है मेरा उस योधा को, अन्नाजी जिसका नाम है
है नमन उसकी शक्ति को जो राष्ट्रभक्ति का कर रही आह्वान है
बनके इसको अपना सोभाग्य आओ इसका सम्मान करे
तोड़ दे जंजीरों को  माँ भारती को आज़ाद करे, भरष्टाचार की गुलामी को जड  से ही हम खतम करे ........
भारत माता की जय ...वन्दे मातरम....इन्कलाब जिंदाबाद ....अन्नाजी जिंदाबाद


Thursday 25 August 2011

मैं भी अन्ना, तू भी अन्ना अब तोह सारा देश है अन्ना ......अन्नाजी जिंदाबाद .















Protesters at Sirhind, Distt: Fatehgarh Sahib (Punjab) here protesters are conducting chain fast in support of Sh.Annaji 5 members sit on fast for 24 hours and another 5 replaced them after 24 hours their fast.....now we are planing to protest in front of our MP in big way and by giving them flower buckets, we want to convey them a message "Get Well Soon Mammu".........Jai Hind Vandey Matram

To be continue............ 

Tuesday 23 August 2011

pankh hamare bohat hai lekin


pankh hamare bohat hai lekin



pankh hamare bohat hai lekin,udne ko aakash to do,
khud ko roshan kar denge,hamko hone ka ehsaas ko do,
har jagah pataka fehra denge,sada safal gathao ki,
pag pag se raah bana lenge ham,in kadmo ko pehchaan to do,
pankh hamare bohat h lekin......

ham himmat hai,ham takat hai, ham sehan shakti ki murat hai,
aad jaye to ek tabahi hai,jhuk jaye to prem ki murat hai,
najuk najuk in haantho se,ham kaam karenge jatil jatil,
har ek papi ka naash karenge,in haantho me talwaar to do,
pankh hamare bohat hai lekin.....

bholi bhali surat hai ,par sankalp hamare bade bade,
har andhi tufaan me ham,dhrin prehri bankar date rahe,
ek baar jo aage bad jaye mudna na hamne jana hai,
gaa gaa kar jyot jala denge,in shabdo ko aawaz to do,
pankh hamare bohat hai lekin.....

kholo kapaat in pinjro ke, fir parkho nari shakti ko,
pal me komal pal me jwala,aisi adbhut bhakti ko,
badal k rakh denge duniya ko,in ummeedo ko aagaz to do,
pankh hamare bohat hai lekin.....

beta beti ka bhed bhula,ek baar hame apna kar dekho,
ban mashaal rah dikhla denge ham,ek jyot jara dikhla kar dekho,
har haal me ham saiyyam rakhte,or paa lete swaroop naya,
khud ko sabit kar jayenge,hamko spardha ka maidan to do,
pankh hamare bohat hai lekin.......

yu kutar kutar najuk pankho ko,tum kis par jor batate ho?
jis nari se tumne janam liya,tum maar use muskate ho,
tyaag pratigya jeevan jiska,ek uff bhi jo na kare kabhi,
nahi mangti dhan or daulat,astitwa ko uske samman to do,
pankh hamare bohat hai lekin ,udne ko aakash to .............


    Friday 19 August 2011

    Anna ki hai aandhi aayi


    Anna ki hai aandhi aayi,

    Anna ki hai aandhi aayi, soye Bharat ko jagane aayi
    khoob karli loot chori, ab nahi neta kher teri
    karle jatan tu chahe jitne, ulte sidhe hatkande saare
    Bharat ke yuva ke haatho ab nischit hai maut teri
    ho zinda agar tum, to pinjare me mat rah jana
    hai aag lagi jahan me, tum andhere me na rah jana
    pukarti hai aaj dharti, desh ki khatir kuchh kar jana
    hai tumse hi nasle kal ki, apna naam garv se de jana
    hai jantantra ka aadhar yahi, ki ho jo janta chahe vahi
    sansad ki jo garima hai, vo rashtra-bhawna se pare nahi

    Jai Hind

    Thursday 18 August 2011

    नई आज़ादी की मिशाल

    आओ मिल जुल के एक हो जाये , एक नई आज़ादी की मिशाल जलाये 
    उठो जागो नशो को त्यागो, मन में नए सुन्दर फूल खिलाये 
    नेताजी सुभाष, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का कर्ज्ज़ चुकाएं भरष्टाचार को मार मुकाएं 
    आओ एक नयी आज़ादी की मिशाल जलाएं .........
    नहीं है कोई दुश्मन दुज्जा, खेत की बाड़ ने है खेत को लुटा 
    आओ इनको सबक सिखाएं, माँ भारती की पुकार पर और अन्ना की ललकार पर 
    आओ एक नयी क्रांति लाए भारत का स्वर्णिम इतिहास बनाये   
    आओ एक नयी आज़ादी की मिशाल जलाएं .........
    जो है भारत माँ का सपूत , रण मैं वो आगे आये जा करके वो गल्ली कुचे में
    जोश और उल्लास से ये गीत गए 
    आओ मिल जुल के एक हो जाये , एक नई आज़ादी की मिशाल जलाये .................
    आओ मिल जुल के एक हो जाये , एक नई आज़ादी की मिशाल जलाये ..................
    वन्दे मातरम .......भारत माता की जय ..........इन्कुइलाब जिंदाबाद 

    Wednesday 17 August 2011

    Wake up now

    Chetan Singh
    ho zinda agar tum, to pinjare me mat rah jana
    hai aag lagi jahan me, tum andhere me na rah jana
    pukarti hai aaj dharti, desh ki khatir kuchh kar jana
    hai tumse hi nasle kal ki, apna naam garv se de jana

    Desh Bhakt

    एक नयी हस्ती जन्म लेगी जब भी मेरी हस्ती को मिटाया जायेगा ,
    अंधियारों को रोशनी मिलेगी कोई चिराग जब भी जलाया जायेगा ,

    फरिस्ता कोई आएगा जरुर मरहम लगाने उसको ,

    किसी नेक इंसा पर जब भी जुल्मो सितम ढाया जायेगा

    मुश्किलों से पिछा नहीं छुटेगा उसका कभी यारों ,

    दुनिया में किसी मासूम का दिल अगर दुखाया जायेगा

    बेमुरौवत अगर सारी दुनिया हो जाये तो बता ,

    ऐसे में हाले दिल अपना फिर किसको सुनाया जायेगा

    मत सोच की नेक करम पर पूजा जायेगा तुझको कभी ,

    हकीकत तो है की तेरी हर बात को हसी में उड़ाया जायेगा
    Jai Hind

    Sunday 14 August 2011

    अन्तर मंथन

    ये कैसी है मझधार एक तरफ है देश प्रेम और एक तरफ है अपनों का प्यार
    मन करता है करदू नौछावर अपना सब कुछ इस मतर्भूमि  के नाम, मगर मासूम बचपन को कौन देगा दुलार
    फिर सोचता हू की नहीं मिलिगा मोका यह दुबारा करने का कुछ काम उही  बीत जायेगी यह जिंदगानी बन करके गुलाम
    कैसे जी पाएंगे,  खुद  से नज़र कैसे  मिलाएंगे अगर न आया ये जीवन देश के काम, मारना जीना तोह हाथ है उसके जो देता है सबको जीवन वरदान
    सुलगी है जो चिंगारी क्या मैं बनने दू उसको आग, कही जल न जाये मेरा आशियाना अत्ता है बस यही ख्याल
    फिर देखता हू पीछे जिन्होंने किया अपना सब कुछ बलिदान कैसे जलकर बनता है सोना कैसे अत्ता है निखार
    बंधन तो कसते रहेंगे बनके रिश्तों के फ़र्ज़, मगर कैसे चूका पियेंगे जो है मातरभूमि का है  क़र्ज़
    मोका है दस्तूर भी है और है दिल मैं जो  जोश कहता है करदो अपने अप  को भारत माता के चरणों मैं  स्राबोश.................वन्दे मातरम............भारत माता की जय .


     


    Tuesday 2 August 2011

    Join Bharat Nirman Sena


    Support Anna's movmement with BNS -
    We'll have to spread our revolution as far as we can... will have to move ahead with determination & confidence... not to stop nor to wait... spread the spirit of Anna's crusade like fire in every corner of India... let 121 crore people all stand united with Anna.... lets give him the strength & power of everyone's support that will be much higher then that of elected govt. to make them fall on their knees...

    https://www.facebook.com/event​.php?eid=181941888529109
    Vande Mataram




    http://www.bharatnirmansena.org/objectives.htm







    ज़मीन बेच देंगे, गगन बेच देंगे,

    नदी, नाले, पर्वत, चमन बेच देंगे,

    अरे! नौजवानों अभी तुम ना संभले,

    तो ये भ्रष्ट नेता वतन बेच देंगे..........




    Everyone want to change India but only few get an opportunity to be the part of change.
    Are you one of them...??
    If you have zeal to contribute to nation & can work dedicatedly with us then join our team @ www.bharatnirmansena.org

    All members who want to join to serve nation, post your city in your comment on this post.


    भू-अधिग्रहण बिल का मसौदा क्या पूर्वाभास देता है


    Must read Wall Street journal Report: भारत में भू-बाज़ार त्रुटिपूर्ण है, यहां ज़मीन हासिल करने वालों और ज़मीन के मालिकों के बीच शक्ति (और सूचना) का असंतुलन है...



    - मेघा बाहरी
    117 साल पुराने भू-अधिग्रहण कानूनों के नवीनीकरण के लिए तैयार किए गए बिल के ताज़ातरीन मसौदे में नए ग्रामीण विकास मंत्री ने अपनी पार्टी के वर्तमान मंत्र-सामाजिक समन्वय पर ध्यान केन्द्रित किया है।
    देशकल्याण चौधरी/एफपी/गेटी इमेजेज़
    भू-अधिग्रहण भारत में एक विवादपूर्ण मुद्दा बन गया है। ऊपर, पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक नई निर्माणाधीन बस्ती, तस्वीर नवम्बर 2010 की है।
    जयराम रमेश ने इस बिल में बहाली और पुनर्वास नीति (आर ऐंड आर) के निरीक्षण का सुझाव दिया है। गौरतलब है कि यह एक ऐसा गरमागरम मुद्दा है, जिसकी वजह से भारत में कई योजनाएं अधर में हैं। इनमें बड़ी कोरियाई कंपनी पॉस्को का उड़ीसा में 12 बिलियन डॉलर की लागत वाले स्टील प्लान्ट और वेदान्त संसाधन द्वारा एक बॉक्साइट खान का विस्तार भी शामिल है। वेदान्त के मालिक मशहूर कारोबारी अनिल अग्रवाल हैं।
    अब तक भारतीय कानून पुनर्वास को एक ऐसे कार्यकलाप के रूप में देखता है, जो भू-अधिग्रहण से अलग है। श्री रमेश इस स्थिति को बिल के द्वारा बदलना चाहते हैं। उन्होंने मसौदे में कहा है, “प्रत्येक मामले में आर ऐंड आर (रिसेटलमेंट ऐंड रिहैबिलिटेशन) ज़मीन अधिग्रहण के साथ-साथ किया जाना चाहिए।”  वह कहते हैं, “दोनों का एक ही कानून के अंतर्गत सम्मिश्रण नहीं किए जाने से-आर ऐंड आर औऱ भू अधिग्रहण- बहाली और पुनर्वास की उपेक्षा का खतरा बना रहता है, अब तक का अनुभव यही रहा है।”   
    हालांकि यह मंत्रालय का एक निर्भीक कदम है, लेकिन इसे अमल में लाया जाना अभी दूर की कौड़ी नज़र आता है। अगले महीने के आखिरी तक इस मसौदे पर टिप्पणी और प्रतिपुष्टि (फीडबैक) मांगी जा रही है। यहां तक पहुंचने के बावजूद इसके बनने में काफी देरी है। मसौदे में एक अटकाव वाला अहम बिंदु यह था कि सरकार को निजी विकासकों के लिए ज़मीन अधिग्रहित करनी चाहिए या नहीं।
    पिछले महीने भारत का सुप्रीम कोर्ट भी इस बहस में कूद पड़ा, उसने उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार को दिल्ली से सटे नोएडा में एक प्रोजेक्ट के लिए ज़मीन अधिग्रहण करने हेतु आपातकालीन धारा लगाए जाने के लिए फटकार लगाई। इस धारा की वजह से अपर्याप्त मुआवज़े पर आपत्ति जताने वाले किसान अपनी आवाज़ मुखर तौर पर नहीं उठा पाए। श्री रमेश ने इस मसौदे में इस दुविधा का हल खोज लिया है, क्योंकि मसौदे में इस बात का ज़िक्र है कि सरकार निज़ी उद्देश्यों के लिए जमीन खरीदने की प्रक्रिया में शामिल नहीं होगी।
    भू-अधिग्रहण के लिए जब समझौता किया जाता है, तो उचित मुआवज़े को लेकर विवाद एक सामान्य बात है। श्री रमेश इस पहलू पर सभी शंकाओं को दूर करना चाहते हैं। वह कंपनियों से उम्मीद करते हैं कि वो शहरी इलाकों में बाज़ार वाले दामों से दो दफा और ग्रामीण इलाकों में कम से कम छह गुना ज्यादा ज़मीन की कीमत अदा करे।
    इसके अतिरिक्त कंपनियों को प्रत्येक परिवार को 12 महीनों तक 3000 रूपए निर्वाह भत्ते के रूप में देना होगा। इसके अलावा प्रत्येक परिवार को 20 सालों तक हर महीने 2000 रूपए का वार्षिक भत्ता भी देना होगा वो भी मुद्रास्फिति के उपयुक्त सूचकांक के साथ। जिनकी ज़मीन का अधिग्रहण किया जा रहा है अगर उनका घर नहीं रहता. तो मसौदा इसके लिए भी प्रावधान की ज़रूरत बताता है, जिसके तहत जिसकी ज़मीन अधिग्रहित की गई है, अगर वो शहरी इलाके में रहता हो तो उसके लिए 50 स्क्वैयर मीटर में एक बना-बनाया घर और जो ग्रामीण इलाके में रहता हो तो उसके लिए 150 स्क्वैयर मीटर वाला घर। अगर ज़मीन का अधिग्रहण शहरीकरण के लिए किया जा रहा है, तो विकसित ज़मीन का 20 फीसदी ज़मीन के मौलिक लोगों के लिए आरक्षित रखा जाएगा और उन्हें उनकी अधिग्रहित ज़मीन के अनुपात में ज़मीन प्रदान की जाएगी।
    जिस तारीख को ज़मीन अधिग्रहित की गई है उस तारीख से 10 साल के भीतर ज़मीन का जब कभी हस्तांतरण किया जाएगा, तो उसकी लागत का 20 फीसदी असल मालिक के साथ बांटा जाएगा। मसौदे के तहत जो परिवार भू-अधिग्रहण से प्रभावित हुए हैं, उनके घर के प्रत्येक सदस्य के लिए नौकरी का भी प्रावधान है। अगर नौकरी नहीं दी जाती, तो प्रत्येक परिवार को 200,000 रूपए दिए जाने की भी वकालत की गई है।
    जहां कहीं भी इन परिवारों को फिर से बसाया जाएगा, उस क्षेत्र में विद्यालय, खेल के मैदान, स्वास्थ्य केन्द्र, सड़कें और बिजली के कनेक्शन के अलावा स्वच्छ पानी का विश्वसनीय स्त्रोत भी उपलब्ध कराना ज़रूरी होगा।
    सबसे ज़रूरी बात यह है कि किसी भी ज़मीन की बिक्री के लिए वहां रह रहे कम से कम 80 फीसदी परिवारों की सहमति ज़रूरी होगी।
    भारत में औद्योगिक विकास के लिए भू-अधिग्रहण एक बड़ी बाधा है। बिल का मसौदा अगर कभी कानून बन पाया, तो इससे उस औद्योगिकीकरण को तुरंत प्रारंभ किया जा सकेगा, जिसे अर्थशास्त्री भारत के विकास को बनाए रखने के लिए ज़रूरी बताते हैं। यह अब व्यापक तौर पर सेवाओं की तरफ तिरछा हो गया है, जबकि कृषि लगातार बड़ी मात्रा में भारतीयों को रोज़गार उपलब्ध करा रही है।
    यह भारत के बारे में उस बड़ी भ्रांति पर भी लगाम लगा देगा, जिसके मुताबिक लोकतंत्र विकास के रास्ते में खड़ा हो जाता है। भारत के समर्थक अकसर इस संदर्भ में इस बात का हवाला देते हैं कि आखिर क्यों चीन विनिर्माण और बुनियादी ढांचे में भारत से कहीं आगे है।
    अगर यह नया बिल पास हो जाता है और भू-अधिग्रहण एक कम विवादपूर्ण मुद्दा बन जाता है, तो यह दिखाएगा कि भारत की प्रगति के रास्ते में लोकतंत्र नहीं सामाजिक न्याय आड़े आता है।
    श्री रमेश मसौदे के एक शुरूआती बयान में कहते हैं, “भारत में भू-बाज़ार त्रुटिपूर्ण है, यहां ज़मीन हासिल करने वालों और ज़मीन के मालिकों के बीच शक्ति (और सूचना) का असंतुलन है।”  

    क्या कॉग्रेस और यूपीए सरकार को देश की नब्ज का कुछ पता नहीं है ?


    सरकारी लोकपाल बिल तथा अन्ना एवं सिविल सोसायटी द्वार ड्राफ्ट किया गया जनलोकपाल बिल पर सिविल सोसायटी द्वारा कराये गये सर्वे के नतीजे आज सिविल सोसायटी द्वारा मीडिया के समक्ष रखे गये। कुटिल सिब्बल के चुनाव क्षेत्र चॉदनी चौक को सिविल सोसायटी ने जानबूझकर सर्वे के लिये चुना था क्योंकि कुटिल सिब्बल द्वारा हमेशा सिविल सोसायटी के सदस्यों पर यह आरोप लगाया जाता रहा है, कि सिविल सोसायटी के चार पॉच लोग सारे देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते इसलिऐ हम इस सोसायटी को नही मानते लेकिन अब कुटिल के अपने चुनाव क्षेत्र में ही उनके इस आरोप की धज्जियॉ उड़ गयी है। अब अपने बचाव के लिऐ कुटिल सिब्बल संविधान की दुहाई देकर बडे़ इमोशनल ढंग से मीडिया के सामने बयान दे रहा है कि हमारे बुजुर्गो द्वारा 1950 में जो संविधान हमे दिया गया उसके सामानान्तर अलग से सिविल सोसायटी, जिसकी जवाबदेही किसी के प्रति भी नही है उसके द्वारा थोपा गया जनलोकपाल बिल को मान्य कर संविधान के ढॉचे से खिलवाड़ नहीं करने दिया जा सकता।
        दूसरी और कॉग्रेस प्रवक्ता मनीष (मनहूस) तिवारी द्वारा बड़ी बेशर्मी से शायराना अंदाज में अन्ना एवं सिविल सोसायटी को सन 2014 के लोकसभा चुनावो ंमें चॉदनी चौक से चुनाव लड़कर जीतने का चैलेंज किया जा रहा है जो उनकी बौखालाहट को प्रदर्शित करता है। लगता है आज भी यूपीए खासकर कॉग्रेस सिविल सोसायटी को बहुत कम करके उसका ऑकलन कर रही है उसे शायद देश की नब्ज की जानकारी नहीं है इतना सब होने के बाद भी उन्हें आज भी सिविल सोसायटी के चार पॉच लोग ही दिखाई देते है लेकिन अंदर का धधकता ज्वालामुखी दिखाई नहंी दे रहा है जो अब फटने की कगार पर है?
        यदि इनके उदाहरणों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के परिपेक्ष्य में देखा जाऐ तो जब भारत में अंग्रेजों के विरूद्ध अहिंसक तरीके से भारत छोड़ो ऑदोलन चल रहा था तब भी सारे अभियान की बागडोर महात्मागॉधी के अलावा पॉच सात लोगो ंने थाम रखी थी लेकिन अंग्रेजों को देश की नब्ज की जानकारी थी उन्हंे मालूम था कि सारे देश में आग फैल चुकी है इसलिये वे इस अभियान से जुडे़ लोगों खासकर उसके अगुआ महात्मा गॉधी से हमेशा बातचीत का रास्ता ही अपनाते रहे ठीक इसके विपरीत आज के काले अंग्रेजों को इस बात का बिलकुल भी ज्ञान नहीं है ? ऊपर से अहंकारी तरीके से एवं बौखलाकर ऊल जुलूल बयान देकर जनता के रोष को और बढ़ा रहे है। यूपीऐ एवं कॉग्रेस के सारे नेता मीडिया में स्वस्थय बहस के स्थान पर उग्र तारीके से उत्तेजना पूर्ण ढंग से अनर्गल आरोप प्रत्यारोपों से अपना एंव देश का समय बार्बाद कर रहे है।
        दूसरी ओर हमेशा की तरह भारत का भ्रष्ट मीडिया भी सरकार के सुर में सुर मिलाकर बहस को तर्कपूर्ण करने की बजाए सरकार के पक्ष में बयान देकर सिविल सोसायटी के अस्तित्व पर ही सवाल खडे़ करने में लगा हुआ है। आज एनडीटीवी पर चल रही बहस में विनोद दुआ जो देश की मीडिया के लिऐ एक बद्दुआ की तरह है , वह भी सर्वेक्षण के नतीजों पर ही सवाल खडे़ करता नजर आ रहा था तथा पत्रकारिता के नाम पर कलंक सरकारी पिट्ठू विनोद शर्मा भी उसके सुर में सुर मिलाता नजर आया।
        अभी तो मात्र एक लोकसभा क्षेत्र के नतीजे आऐ है जिसमें 85 प्रतिशत लोगों ने सरकारी लोकपाल के विरूद्ध तथा जनलोकपाल के पक्ष में अपना मत प्रकट किया है तथा 94 प्रतिशत लोगों ने प्रधान मंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने हेतु अपना मत दिया है। यदि सरकार में हिम्मत है तो इस तरह का सर्वे सारे देश में करवाकर देख ले इससे कही अधिक प्रतिशत में मत जनलोकपाल के पक्ष में आऐगा। लेकिन सरकार ऐसा नही करेगी क्योंकि उससे उसकी पोल खुलने का डर है इसलिऐ सरकार भरसक प्रयत्यन करेगी कि अन्ना एवं सिविल सोसायटी के अभियान को बाबा के अभियान की तरह दमनपूर्ण ढंग से कुचल कर समाप्त कर दिया जाऐ लेकिन  अब यह होने वाला नही है अब देश जाग चुका है।


    सरकारी लोकपाल बिल तथा अन्ना एवं सिविल सोसायटी द्वार ड्राफ्ट किया गया जनलोकपाल बिल पर सिविल सोसायटी द्वारा कराये गये सर्वे के नतीजे आज सिविल सोसायटी द्वारा मीडिया के समक्ष रखे गये। कुटिल सिब्बल के चुनाव क्षेत्र चॉदनी चौक को सिविल सोसायटी ने जानबूझकर सर्वे के लिये चुना था क्योंकि कुटिल सिब्बल द्वारा हमेशा सिविल सोसायटी के सदस्यों पर यह आरोप लगाया जाता रहा है, कि सिविल सोसायटी के चार पॉच लोग सारे देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते इसलिऐ हम इस सोसायटी को नही मानते लेकिन अब कुटिल के अपने चुनाव क्षेत्र में ही उनके इस आरोप की धज्जियॉ उड़ गयी है। अब अपने बचाव के लिऐ कुटिल सिब्बल संविधान की दुहाई देकर बडे़ इमोशनल ढंग से मीडिया के सामने बयान दे रहा है कि हमारे बुजुर्गो द्वारा 1950 में जो संविधान हमे दिया गया उसके सामानान्तर अलग से सिविल सोसायटी, जिसकी जवाबदेही किसी के प्रति भी नही है उसके द्वारा थोपा गया जनलोकपाल बिल को मान्य कर संविधान के ढॉचे से खिलवाड़ नहीं करने दिया जा सकता।
        दूसरी और कॉग्रेस प्रवक्ता मनीष (मनहूस) तिवारी द्वारा बड़ी बेशर्मी से शायराना अंदाज में अन्ना एवं सिविल सोसायटी को सन 2014 के लोकसभा चुनावो ंमें चॉदनी चौक से चुनाव लड़कर जीतने का चैलेंज किया जा रहा है जो उनकी बौखालाहट को प्रदर्शित करता है। लगता है आज भी यूपीए खासकर कॉग्रेस सिविल सोसायटी को बहुत कम करके उसका ऑकलन कर रही है उसे शायद देश की नब्ज की जानकारी नहीं है इतना सब होने के बाद भी उन्हें आज भी सिविल सोसायटी के चार पॉच लोग ही दिखाई देते है लेकिन अंदर का धधकता ज्वालामुखी दिखाई नहंी दे रहा है जो अब फटने की कगार पर है?
        यदि इनके उदाहरणों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के परिपेक्ष्य में देखा जाऐ तो जब भारत में अंग्रेजों के विरूद्ध अहिंसक तरीके से भारत छोड़ो ऑदोलन चल रहा था तब भी सारे अभियान की बागडोर महात्मागॉधी के अलावा पॉच सात लोगो ंने थाम रखी थी लेकिन अंग्रेजों को देश की नब्ज की जानकारी थी उन्हंे मालूम था कि सारे देश में आग फैल चुकी है इसलिये वे इस अभियान से जुडे़ लोगों खासकर उसके अगुआ महात्मा गॉधी से हमेशा बातचीत का रास्ता ही अपनाते रहे ठीक इसके विपरीत आज के काले अंग्रेजों को इस बात का बिलकुल भी ज्ञान नहीं है ? ऊपर से अहंकारी तरीके से एवं बौखलाकर ऊल जुलूल बयान देकर जनता के रोष को और बढ़ा रहे है। यूपीऐ एवं कॉग्रेस के सारे नेता मीडिया में स्वस्थय बहस के स्थान पर उग्र तारीके से उत्तेजना पूर्ण ढंग से अनर्गल आरोप प्रत्यारोपों से अपना एंव देश का समय बार्बाद कर रहे है।
        दूसरी ओर हमेशा की तरह भारत का भ्रष्ट मीडिया भी सरकार के सुर में सुर मिलाकर बहस को तर्कपूर्ण करने की बजाए सरकार के पक्ष में बयान देकर सिविल सोसायटी के अस्तित्व पर ही सवाल खडे़ करने में लगा हुआ है। आज एनडीटीवी पर चल रही बहस में विनोद दुआ जो देश की मीडिया के लिऐ एक बद्दुआ की तरह है , वह भी सर्वेक्षण के नतीजों पर ही सवाल खडे़ करता नजर आ रहा था तथा पत्रकारिता के नाम पर कलंक सरकारी पिट्ठू विनोद शर्मा भी उसके सुर में सुर मिलाता नजर आया।
        अभी तो मात्र एक लोकसभा क्षेत्र के नतीजे आऐ है जिसमें 85 प्रतिशत लोगों ने सरकारी लोकपाल के विरूद्ध तथा जनलोकपाल के पक्ष में अपना मत प्रकट किया है तथा 94 प्रतिशत लोगों ने प्रधान मंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने हेतु अपना मत दिया है। यदि सरकार में हिम्मत है तो इस तरह का सर्वे सारे देश में करवाकर देख ले इससे कही अधिक प्रतिशत में मत जनलोकपाल के पक्ष में आऐगा। लेकिन सरकार ऐसा नही करेगी क्योंकि उससे उसकी पोल खुलने का डर है इसलिऐ सरकार भरसक प्रयत्यन करेगी कि अन्ना एवं सिविल सोसायटी के अभियान को बाबा के अभियान की तरह दमनपूर्ण ढंग से कुचल कर समाप्त कर दिया जाऐ लेकिन  अब यह होने वाला नही है अब देश जाग चुका है।


    सरकारी लोकपाल बिल तथा अन्ना एवं सिविल सोसायटी द्वार ड्राफ्ट किया गया जनलोकपाल बिल पर सिविल सोसायटी द्वारा कराये गये सर्वे के नतीजे आज सिविल सोसायटी द्वारा मीडिया के समक्ष रखे गये। कुटिल सिब्बल के चुनाव क्षेत्र चॉदनी चौक को सिविल सोसायटी ने जानबूझकर सर्वे के लिये चुना था क्योंकि कुटिल सिब्बल द्वारा हमेशा सिविल सोसायटी के सदस्यों पर यह आरोप लगाया जाता रहा है, कि सिविल सोसायटी के चार पॉच लोग सारे देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते इसलिऐ हम इस सोसायटी को नही मानते लेकिन अब कुटिल के अपने चुनाव क्षेत्र में ही उनके इस आरोप की धज्जियॉ उड़ गयी है। अब अपने बचाव के लिऐ कुटिल सिब्बल संविधान की दुहाई देकर बडे़ इमोशनल ढंग से मीडिया के सामने बयान दे रहा है कि हमारे बुजुर्गो द्वारा 1950 में जो संविधान हमे दिया गया उसके सामानान्तर अलग से सिविल सोसायटी, जिसकी जवाबदेही किसी के प्रति भी नही है उसके द्वारा थोपा गया जनलोकपाल बिल को मान्य कर संविधान के ढॉचे से खिलवाड़ नहीं करने दिया जा सकता।
        दूसरी और कॉग्रेस प्रवक्ता मनीष (मनहूस) तिवारी द्वारा बड़ी बेशर्मी से शायराना अंदाज में अन्ना एवं सिविल सोसायटी को सन 2014 के लोकसभा चुनावो ंमें चॉदनी चौक से चुनाव लड़कर जीतने का चैलेंज किया जा रहा है जो उनकी बौखालाहट को प्रदर्शित करता है। लगता है आज भी यूपीए खासकर कॉग्रेस सिविल सोसायटी को बहुत कम करके उसका ऑकलन कर रही है उसे शायद देश की नब्ज की जानकारी नहीं है इतना सब होने के बाद भी उन्हें आज भी सिविल सोसायटी के चार पॉच लोग ही दिखाई देते है लेकिन अंदर का धधकता ज्वालामुखी दिखाई नहंी दे रहा है जो अब फटने की कगार पर है?
        यदि इनके उदाहरणों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के परिपेक्ष्य में देखा जाऐ तो जब भारत में अंग्रेजों के विरूद्ध अहिंसक तरीके से भारत छोड़ो ऑदोलन चल रहा था तब भी सारे अभियान की बागडोर महात्मागॉधी के अलावा पॉच सात लोगो ंने थाम रखी थी लेकिन अंग्रेजों को देश की नब्ज की जानकारी थी उन्हंे मालूम था कि सारे देश में आग फैल चुकी है इसलिये वे इस अभियान से जुडे़ लोगों खासकर उसके अगुआ महात्मा गॉधी से हमेशा बातचीत का रास्ता ही अपनाते रहे ठीक इसके विपरीत आज के काले अंग्रेजों को इस बात का बिलकुल भी ज्ञान नहीं है ? ऊपर से अहंकारी तरीके से एवं बौखलाकर ऊल जुलूल बयान देकर जनता के रोष को और बढ़ा रहे है। यूपीऐ एवं कॉग्रेस के सारे नेता मीडिया में स्वस्थय बहस के स्थान पर उग्र तारीके से उत्तेजना पूर्ण ढंग से अनर्गल आरोप प्रत्यारोपों से अपना एंव देश का समय बार्बाद कर रहे है।
        दूसरी ओर हमेशा की तरह भारत का भ्रष्ट मीडिया भी सरकार के सुर में सुर मिलाकर बहस को तर्कपूर्ण करने की बजाए सरकार के पक्ष में बयान देकर सिविल सोसायटी के अस्तित्व पर ही सवाल खडे़ करने में लगा हुआ है। आज एनडीटीवी पर चल रही बहस में विनोद दुआ जो देश की मीडिया के लिऐ एक बद्दुआ की तरह है , वह भी सर्वेक्षण के नतीजों पर ही सवाल खडे़ करता नजर आ रहा था तथा पत्रकारिता के नाम पर कलंक सरकारी पिट्ठू विनो
    सरकारी लोकपाल बिल तथा अन्ना एवं सिविल सोसायटी द्वार ड्राफ्ट किया गया जनलोकपाल बिल पर सिविल सोसायटी द्वारा कराये गये सर्वे के नतीजे आज सिविल सोसायटी द्वारा मीडिया के समक्ष रखे गये। कुटिल सिब्बल के चुनाव क्षेत्र चॉदनी चौक को सिविल सोसायटी ने जानबूझकर सर्वे के लिये चुना था क्योंकि कुटिल सिब्बल द्वारा हमेशा सिविल सोसायटी के सदस्यों पर यह आरोप लगाया जाता रहा है, कि सिविल सोसायटी के चार पॉच लोग सारे देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते इसलिऐ हम इस सोसायटी को नही मानते लेकिन अब कुटिल के अपने चुनाव क्षेत्र में ही उनके इस आरोप की धज्जियॉ उड़ गयी है। अब अपने बचाव के लिऐ कुटिल सिब्बल संविधान की दुहाई देकर बडे़ इमोशनल ढंग से मीडिया के सामने बयान दे रहा है कि हमारे बुजुर्गो द्वारा 1950 में जो संविधान हमे दिया गया उसके सामानान्तर अलग से सिविल सोसायटी, जिसकी जवाबदेही किसी के प्रति भी नही है उसके द्वारा थोपा गया जनलोकपाल बिल को मान्य कर संविधान के ढॉचे से खिलवाड़ नहीं करने दिया जा सकता।
        दूसरी और कॉग्रेस प्रवक्ता मनीष (मनहूस) तिवारी द्वारा बड़ी बेशर्मी से शायराना अंदाज में अन्ना एवं सिविल सोसायटी को सन 2014 के लोकसभा चुनावो ंमें चॉदनी चौक से चुनाव लड़कर जीतने का चैलेंज किया जा रहा है जो उनकी बौखालाहट को प्रदर्शित करता है। लगता है आज भी यूपीए खासकर कॉग्रेस सिविल सोसायटी को बहुत कम करके उसका ऑकलन कर रही है उसे शायद देश की नब्ज की जानकारी नहीं है इतना सब होने के बाद भी उन्हें आज भी सिविल सोसायटी के चार पॉच लोग ही दिखाई देते है लेकिन अंदर का धधकता ज्वालामुखी दिखाई नहंी दे रहा है जो अब फटने की कगार पर है?
        यदि इनके उदाहरणों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के परिपेक्ष्य में देखा जाऐ तो जब भारत में अंग्रेजों के विरूद्ध अहिंसक तरीके से भारत छोड़ो ऑदोलन चल रहा था तब भी सारे अभियान की बागडोर महात्मागॉधी के अलावा पॉच सात लोगो ंने थाम रखी थी लेकिन अंग्रेजों को देश की नब्ज की जानकारी थी उन्हंे मालूम था कि सारे देश में आग फैल चुकी है इसलिये वे इस अभियान से जुडे़ लोगों खासकर उसके अगुआ महात्मा गॉधी से हमेशा बातचीत का रास्ता ही अपनाते रहे ठीक इसके विपरीत आज के काले अंग्रेजों को इस बात का बिलकुल भी ज्ञान नहीं है ? ऊपर से अहंकारी तरीके से एवं बौखलाकर ऊल जुलूल बयान देकर जनता के रोष को और बढ़ा रहे है। यूपीऐ एवं कॉग्रेस के सारे नेता मीडिया में स्वस्थय बहस के स्थान पर उग्र तारीके से उत्तेजना पूर्ण ढंग से अनर्गल आरोप प्रत्यारोपों से अपना एंव देश का समय बार्बाद कर रहे है।
        दूसरी ओर हमेशा की तरह भारत का भ्रष्ट मीडिया भी सरकार के सुर में सुर मिलाकर बहस को तर्कपूर्ण करने की बजाए सरकार के पक्ष में बयान देकर सिविल सोसायटी के अस्तित्व पर ही सवाल खडे़ करने में लगा हुआ है। आज एनडीटीवी पर चल रही बहस में विनोद दुआ जो देश की मीडिया के लिऐ एक बद्दुआ की तरह है , वह भी सर्वेक्षण के नतीजों पर ही सवाल खडे़ करता नजर आ रहा था तथा पत्रकारिता के नाम पर कलंक सरकारी पिट्ठू विनोद शर्मा भी उसके सुर में सुर मिलाता नजर आया।
        अभी तो मात्र एक लोकसभा क्षेत्र के नतीजे आऐ है जिसमें 85 प्रतिशत लोगों ने सरकारी लोकपाल के विरूद्ध तथा जनलोकपाल के पक्ष में अपना मत प्रकट किया है तथा 94 प्रतिशत लोगों ने प्रधान मंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने हेतु अपना मत दिया है। यदि सरकार में हिम्मत है तो इस तरह का सर्वे सारे देश में करवाकर देख ले इससे कही अधिक प्रतिशत में मत जनलोकपाल के पक्ष में आऐगा। लेकिन सरकार ऐसा नही करेगी क्योंकि उससे उसकी पोल खुलने का डर है इसलिऐ सरकार भरसक प्रयत्यन करेगी कि अन्ना एवं सिविल सोसायटी के अभियान को बाबा के अभियान की तरह दमनपूर्ण ढंग से कुचल कर समाप्त कर दिया जाऐ लेकिन  अब यह होने वाला नही है अब देश जाग चुका है।

    Bharat Songs


    This is one more creativity by Sahil Khosla .....For my BNS family.....JAI HIND



    मैं हिन्‍दू हूं.... कट्टर हिन्‍दू को वोट दूंगा.....
    मैं मुसलमान हूं..... मुसलमान की दुकान से सामान खरीदूगां....
    मैं पंडित हूं...... ऊचें कुल में ही अपनी कन्‍या का विवाह करूगां.....
    मैं ठाकुर हूं..... अपनी जान दे दूगां लेकिन जाति व्‍यवस्‍था अमर रखूंगा....
    मैं वैश्‍य हूं..... मेरा ईमान धर्म सब पैसा है.....
    मैं शूद्र हूं....
    ब्राह्रमणों ने, क्षत्रियों के बल का प्रयोग कर......
    वैश्‍यों के आर्थिक सहयोग से..... हमेशा मेरा शोषण किया....
    आज भी करते हैं.... इसलिये मुझे आरक्षण चाहिये....
    मैं राजनेता हूं....... सब को खुस रखूगा.... मुझे वोट चाहिये.....
    मैं न्‍यूज कम्‍पनी हूं..... मुझे बोलने का पैसा मिलता है.... मुद्दा कोई भी हो....
    मै भारत हूं...... जितने चाहें टुकडे कर लो..... खामोश रहूगां....

    मै भारत का युवा हूं....
    जाति और धर्म ने मेरा प्‍यार मुझसे छीन लिया....
    मैं देश से प्‍यार क्‍यों करू.....

    मैं भारतीय हूं..... मैं कहां जाऊ....
    बिना जाति और धर्म का चोला पहने....
    मुझसे हर कोई नफरत करता है.....
    खून के आंसू पीकर जीता हूं....
    फिर भी सब से कहता हूं....
    जय हिन्‍द.......




    Program of JanLokpal Movement, New Delhi




    ‎16 अगस्त....आजादी के बाद का अब तक का सबसे बड़ा आन्दोलन.....भ्रस्टाचार के खिलाफ...अब समय आ गया है की पूरा देश....एक साथ.....एक आवाज में अन्ना हजारे जी के साथ ....पुरे जोश के साथ उठ खड़ा हो और सड़कों पर आ के अपने गुस्से को जाहिर करे... सही जन लोकपाल बिल ही देश में हो रहे भ्रस्टाचार पर लगाम लगा सकता है...चोर लुटेरे नेताओं और अफसरों ने देश का जितना ज्यादा बुरा करना था वो कर दिया है......हम तो भुगत ही रहे हैं.....अब हमारी नयी और आने वाली पीढ़ी का बुरा होते हम नहीं देख सकते .... अब हम आप और सब को मिल के ही कुछ करना होगा.....
    आप किस तरफ हैं....??????? देश में एक लकीर खिंच गई है.....एक तरफ भ्रष्ट चोर लुटेरे डाकू और उनको सपोर्ट करने वाले.......और दूसरी तरफ देश से प्रेम करने वाले देश भक्त...... अब अन्ना जी और सिविल सोसायटी के लोगों पर किसी भी तरह का लांछन या आरोप लगाना हर तरह से गलत है....इस पर कोई भी बहस बेमानी है....
    भ्रस्टाचार ख़तम करना है....


    Massive support for Jan Lokpal Bill: Team Anna


    Lok Sabha constituencies of the country showed that people want a strong Lokpal and there was an overwhelming response in favour of the civil society's version of the Lokpal Bill. Kejriwal said that almost 85 per cent of the people are in favour of bringing the post of the Prime Minister under the ambit of the proposed Lokpal.

    Kindly read this Report :
    Massive support for Jan Lokpal Bill: Team Anna




    चेन्नई में अरविन्द केजरीवाल. जन लोकपाल आन्दोलन के सिलसिले में.

    Bharat Songs




    माता के मस्तक पे शत्रु, आतंक की आँधी चला रहा...
    भाई तेरा छलनी होके, सीमा पे बेसुध पड़ा हुआ...
    कब तक गाँधी आदर्शों से, यूँ झूठी आस दिखाओगे...
    कब रक्त पियोगे दुश्मन का, कब अपनी प्यास बुझाओगे.....






    हमने ही उसे दिया था सांस्कृतिक उच्च सिंहासन
    मां जिस पर बैठी सुख से करती थी जग का शासन
    अब काल चक्र की गति से वह टूट गया सिंहासन
    अपना तन मन धन देकर हम करें पुन: संस्थापन




    ‎"खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी"



    साल में दो बार,सुनते हैं -
    “वो भारत देश है मेरा….”
    फिर कोई डाल नहीं ,सोने की चिड़िया नहीं…
    पंख – विहीन हो जाता है भारत….
    शतरंज की बिसात पर,चली जाती हैं चालें…
    तिथियाँ भी मनाई जाती हैं साजिश की तरह…
    क्या था भारत?
    क्या है भारत?
    क्या होगा भारत?
    इस बात का इल्म नहीं !!!
    धर्म-निरपेक्षता तो भाषण तक है,
    हर कदम बस वाद है…
    आदमी , आदमी की पहचान,ख़त्म हो गई है…
    गोलियाँ ताकतवर हो गई हैं,
    कौन, कहाँ, किस गली ढेर होगा?
    कहाँ टायर जलेंगे,आंसू गैस छोड जायेंगे?
    ज्ञात नहीं है…
    कहाँ आतंक है, कौन है आतंकवादी?
    कौन जाने !!!
    शान है “डॉन” होना,
    छापामारी की जीती-जागती तस्वीर होना,
    फिर बजाना साल में दो बार उन्ही के हाथों-
    “वो भारत देश है मेरा”...