“अन्ना फिर खोलेंगे भ्रष्टाचार-निरोधी पन्ना”
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छत्रपाल, जयपाल, तरुणपाल, दिग्पाल, धर्मपाल, भूपाल, नागपाल,
प्रेमपाल, भद्रपाल, महिपाल, यशपाल और हैं महामहिम राज्यपाल !
इन जाने माने पालों के बीच अब आने को तैयार हो रहा लोकपाल,
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इसे सोची समझी हरी झंडी दिखादी फिलहाल !
संसद, प्रधान मंत्री, उच्च एवं उच्चतम न्यायालय रहेंगे पूर्ण स्वच्छंद,
अब फिर अन्ना को करना होगा लोकवाणी को अधिकाधिक ही बुलंद !
अन्यथा पूर्ण ही सरकारी तंत्र दौड़ाता ही रहेगा अपना बेलगाम घोड़ा,
जिसकी दुराग्रहपूर्ण दौड़ को दशकों से लेकर आजतक किसीने न तोड़ा !
प्रश्न खड़ा होता है कि क्या मानस है ऐसे अड़ियल होना सरकार का ?
क्या पूर्ण सरकारी तंत्र को भय है प्रमाणित होना उनके भ्रष्टाचार का !
उच्च सरकारी तथा न्यायिक मुखिया भी भगवान् नहीं इंसान ही हैं ,
कोई मानव त्रुटिहीन नहीं होता ऐसा सर्वमान्य सांसारिक ज्ञान भी है !
निर्विरोध स्वच्छंद स्वतः हो जाना कदापि नहीं तर्कसंगत-न्यायसंगत,
क्यों कि ऐसी प्रक्रिया गणतंत्र में गठित करती है विरोधाभासी पंगत !
पूर में हुई जन-धन हानि की पूर्ण उपेक्षा करके ये है इक पुनरावृत्ति,
क्या लोकतांत्रिक कहे जाने वाली सरकार की ऐसी ही होती दुर्वृत्ति ?
समय आगया है अब ऐसे दुष्शासन को अविलम्ब हटा के भगाने का,
जिसके लिए परमावश्यक है हमारे युवा-वर्ग में ही जागृति लाने का !.
छत्रपाल, जयपाल, तरुणपाल, दिग्पाल, धर्मपाल, भूपाल, नागपाल,
प्रेमपाल, भद्रपाल, महिपाल, यशपाल और हैं महामहिम राज्यपाल !
इन जाने माने पालों के बीच अब आने को तैयार हो रहा लोकपाल,
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इसे सोची समझी हरी झंडी दिखादी फिलहाल !
संसद, प्रधान मंत्री, उच्च एवं उच्चतम न्यायालय रहेंगे पूर्ण स्वच्छंद,
अब फिर अन्ना को करना होगा लोकवाणी को अधिकाधिक ही बुलंद !
अन्यथा पूर्ण ही सरकारी तंत्र दौड़ाता ही रहेगा अपना बेलगाम घोड़ा,
जिसकी दुराग्रहपूर्ण दौड़ को दशकों से लेकर आजतक किसीने न तोड़ा !
प्रश्न खड़ा होता है कि क्या मानस है ऐसे अड़ियल होना सरकार का ?
क्या पूर्ण सरकारी तंत्र को भय है प्रमाणित होना उनके भ्रष्टाचार का !
उच्च सरकारी तथा न्यायिक मुखिया भी भगवान् नहीं इंसान ही हैं ,
कोई मानव त्रुटिहीन नहीं होता ऐसा सर्वमान्य सांसारिक ज्ञान भी है !
निर्विरोध स्वच्छंद स्वतः हो जाना कदापि नहीं तर्कसंगत-न्यायसंगत,
क्यों कि ऐसी प्रक्रिया गणतंत्र में गठित करती है विरोधाभासी पंगत !
पूर में हुई जन-धन हानि की पूर्ण उपेक्षा करके ये है इक पुनरावृत्ति,
क्या लोकतांत्रिक कहे जाने वाली सरकार की ऐसी ही होती दुर्वृत्ति ?
समय आगया है अब ऐसे दुष्शासन को अविलम्ब हटा के भगाने का,
जिसके लिए परमावश्यक है हमारे युवा-वर्ग में ही जागृति लाने का !.
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