Tuesday, 2 August 2011

चलो चलो चलो चलो दिल्ली चलो ओ चलो ओ चलो दिल्ली चलो ..




भगत सिंह की संतानों दिल्ली चलो

दिल्ली चलो
दिल्ली चलो .. दिल्ली चलो.. दिल्ली चलो ..
चलो चलो चलो चलो
दिल्ली चलो
ओ चलो ओ चलो दिल्ली चलो ....

देश के जवानों. दिल्ली चलो
देश के किसानों दिल्ली चलो

दिल्ली चलो .. दिल्ली चलो.. दिल्ली चलो ..

भगत सिंह की संतानों दिल्ली चलो
उधम सिंह के निशानों दिल्ली चलो

दिल्ली चलो .. दिल्ली चलो.. दिल्ली चलो ..

देश के मजदूरों दिल्ली चलो
देश के कामगारों दिल्ली चलो

दिल्ली चलो .. दिल्ली चलो.. दिल्ली चलो ..

अन्ना के आव्हान पे दिल्ली चलो
भ्रष्टाचार के विरुद्ध दिल्ली चलो

चलो चलो चलो चलो
दिल्ली चलो

देश के विद्यार्थियों दिल्ली चलो
देश के नौजवानों दिल्ली चलो

चलो चलो चलो चलो
दिल्ली चलो
ओ चलो ओ चलो दिल्ली चलो ....

माँ के दूध की कसम है दिल्ली चलो
माँ को बचाने दिल्ली चलो

चलो चलो चलो चलो
दिल्ली चलो
ओ चलो ओ चलो दिल्ली चलो ....

एक कट्टर इंसान ना मिला

हिन्दुस्तान भी मिला, पकिस्तान भी मिला ,
कट्टर हिन्दू भी मिला, कट्टर मुसलमान भी मिला
ग़म मन में बस एक यही है दोस्तों, इस जहाँ में एक कट्टर इंसान ना मिला
खून दंगे, लाठी गोली हर जगह मिले, पर कही मन की शान्ति का पैगाम ना मिला
अहम् का नशा, फिर बहम का नशा पर सत्य में डुबो दे ऐसा जाम ना मिला
राम और रहीम तो कई जगह मिले पर सबको साधता एक भगवान् ना मिला
खुदा भी रो रहा है बट बट के देख लो उसे इंसान से जहां में ,सही मान ना मिला
मजहब के नाम तो पल भर में रख दिए क्यों इंसान के धर्म का कोई नाम ना मिला
ग़म बस मन में एक यही है दोस्तों इस जहाँ में एक कट्टर इंसान ना मिला 
इस जहाँ में एक कट्टर इंसान ना मिला .................

Govind Gopal Vaishnava जहाँ बस बस्ती हो इंसानों की
ना लगे बोली जहाँ ईमानों की
जाति पाति का ना हो कोई बंधन
ना चिंतन ना कोई मंथन
सीधा सादा सरल ह्रदय ...
जो सबको दिल से अपनाएं ....................


NGO is get registered by the name of Bharat Nirman Trust...




Great News to all soldiers of BNS...!!!

Our NGO is get registered by the name of Bharat Nirman Trust...
and Bharat Nirman Sena is a youth group launched by Bharat Nirman Trust...!!

Now we are ready to work on grounds...

Vande Mataram






हम करें राष्ट्र आराधन
तन से मन से धन से
तन मन धन जीवनसे
हम करें राष्ट्र आराधन………………।।…धृ

अन्तर से मुख से कृती से
निश्र्चल हो निर्मल मति से
श्रध्धा से मस्तक नत से
हम करें राष्ट्र अभिवादन…………………। १

अपने हंसते शैशव से
अपने खिलते यौवन से
प्रौढता पूर्ण जीवन से
हम करें राष्ट्र का अर्चन……………………।२

अपने अतीत को पढकर
अपना इतिहास उलटकर
अपना भवितव्य समझकर
हम करें राष्ट्र का चिंतन…।………………।३

है याद हमें युग युग की जलती अनेक घटनायें
जो मां के सेवा पथ पर आई बनकर विपदायें
हमने अभिषेक किया था जननी का अरिशोणित से
हमने श्रृंगार किया था माता का अरिमुंडो से

हमने ही उसे दिया था सांस्कृतिक उच्च सिंहासन
मां जिस पर बैठी सुख से करती थी जग का शासन
अब काल चक्र की गति से वह टूट गया सिंहासन
अपना तन मन धन देकर हम करें पुन: संस्थापन…………….…।४






Friday, 29 July 2011

उस दिन भारत माँ का मस्तक चमकेगा





हमको पता ना था सूरज बचकानी भाषा बोलेगा,
जाने किस दिन लाल किला मर्दानी भाषा बोलेगा.

अभी तलक तो सिंहासन को गूंगा-बहरा देखा है
भारत माँ के चहरे पर आंसू को ठहरा देखा है

अभी तलक तो सन 47 को ए के 47 से डरते देखा है,
अभी तलक संविधान को नेता के घर पालिश करते देखा है,

अभी तलक तो खुद्दारी को गद्दारी का पानी भरते देखा है,
अभी तलक तो शेरो को कुत्तो मे घिर कर जान बचाते देखा है,

जाने किस दिन इस देश का पौरुष खौलेगा,
जाने किस दिन जनमानस तूफानी भाषा बोलेगा

अभी तलक तो चोले ने चोली की भाषा बोली है
जाने किस दिन युग का युवा वर्ग मर्दानी भाषा बोलेगा

अभी तलक मुस्कानों ने रोने की भाषा बोली है
अभी तलक तो डोली ने अर्थी की भाषा बोली है

जिस दिन बाहें भीमबली की, दुस्साशन को खीचेंगी
जिस दिन कोई पांचाली दुस्साशन को पीटेगी,

जिस दिन जनता विषबेलो को तेज़ाबो से सींचेगी,
जिस दिन जनता भ्रष्टाचारी को संसद से खीचेगी,

जिस दिन लाल किला मर्दानी भाषा बोलेगा
उस दिन जयचंदों का गिरोह जान बचा के भागेगा

उस दिन भारत माँ का मस्तक चमकेगा
जिस दिन लाल किला मर्दानी भाषा बोलेगा

Magsaysay Award Winner Harish Hande


हरीश हांडे ने मैगसेसे पुरस्कार उन नौजवानों को समर्पित किया है, जो ग्रामीणों के लिए कुछ करना चाहते हैं....44 वर्षीय हांडे, एक सौर ऊर्जा कंपनी चलाते हैं जिसने क़रीब 1,20,000 घरों में रोशनी पहुंचाने में मदद की है.
MUST READ ::;
भारत में करीब 70 प्रतिशत गांवों में बिजली नहीं है. सौर ऊर्जा के माध्यम पैदा होने वाली बिजली से जहां बच्चे दिन ढलने के बाद पढ़ाई कर सकते हैं, वहीं सिलाई-कढ़ाई का काम कर पैसा कमाने वाली महिलाओं और बीड़ी बनाने वाले मज़दूरों के लिए इसका मतलब है कि वो ज़्यादा देर तक काम कर सकते है और अच्छी कमाई कर सकते है.

हरीश हांडे ने कहा "अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी सीख मुझे बैंगलोर में पानी-पुरी बेचने वाली एक महिला से मिली. जब मैंने उन्हें सौर ऊर्जा से होने वाले लाभ के बारे में बताया तो उसने कहा कि महीने के 300 रुपए देना उसकी जेब पर बहुत भारी पड़ेगा, लेकिन रोज़ के दस रुपए देने में उन्हें कोई समस्या नहीं थी. उनकी बातें सुन कर मुझे लगा कि ग़रीबों तक तकनीक पहुंचाने के साथ साथ उन्हें वित्तीय अनाधीनता देना भी बहुत ज़रुरी है. मुझे लगा कि अगर मैं उस महिला को प्रतिदिन दस रुपए में चार घंटे के लिए बिजली पहुंचा सकता हूं, तो उसे फ़ायदा ही होगा क्योंकि वो कैरोसीन में 15 रुपए से ज़्यादा ख़र्च करती थी. और बस, वहीं से मेरे सफ़र की शुरुआत हुई.'
http://www.bbc.co.uk/hindi/new​s/2011/07/110728_magsaysay_da.​shtml




Harish Hande




क्यों इंसान के धर्म का कोई नाम ना मिला??




हिन्दुस्तान भी मिला, पकिस्तान भी मिला
कट्टर हिन्दू भी मिला, कट्टर मुसलमान भी मिला
ग़म मन में बस एक यही है दोस्तों,
इस जहाँ में एक कट्टर इंसान ना मिला
खून दंगे, लाठी गोली हर जगह मिले,
पर कही मन की शान्ति का पैगाम ना मिला
अहम् का नशा, फिर बहम का नशा
पर सत्य में डुबो दे ऐसा जाम ना मिला
राम और रहीम तो कई जगह मिले
पर सबको साधता एक भगवान् ना मिला
खुदा भी रो रहा है बट बट के देख लो
उसे इंसान से जहां में ,सही मान ना मिला
मजहब के नाम तो पल भर में रख दिए
क्यों इंसान के धर्म का कोई नाम ना मिला
ग़म बस मन में एक यही है दोस्तों
इस जहाँ में एक कट्टर इंसान ना मिला
इस जहाँ में एक कट्टर इंसान ना मिला ...........

अन्ना फिर खोलेंगे भ्रष्टाचार-निरोधी पन्ना


“अन्ना फिर खोलेंगे भ्रष्टाचार-निरोधी पन्ना”
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छत्रपाल, जयपाल, तरुणपाल, दिग्पाल, धर्मपाल, भूपाल, नागपाल,
प्रेमपाल, भद्रपाल, महिपाल, यशपाल और हैं महामहिम राज्यपाल !
इन जाने माने पालों के बीच अब आने को तैयार हो रहा लोकपाल,
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इसे सोची समझी हरी झंडी दिखादी फिलहाल !

संसद, प्रधान मंत्री, उच्च एवं उच्चतम न्यायालय रहेंगे पूर्ण स्वच्छंद,
अब फिर अन्ना को करना होगा लोकवाणी को अधिकाधिक ही बुलंद !
अन्यथा पूर्ण ही सरकारी तंत्र दौड़ाता ही रहेगा अपना बेलगाम घोड़ा,
जिसकी दुराग्रहपूर्ण दौड़ को दशकों से लेकर आजतक किसीने न तोड़ा !

प्रश्न खड़ा होता है कि क्या मानस है ऐसे अड़ियल होना सरकार का ?
क्या पूर्ण सरकारी तंत्र को भय है प्रमाणित होना उनके भ्रष्टाचार का !
उच्च सरकारी तथा न्यायिक मुखिया भी भगवान् नहीं इंसान ही हैं ,
कोई मानव त्रुटिहीन नहीं होता ऐसा सर्वमान्य सांसारिक ज्ञान भी है !

निर्विरोध स्वच्छंद स्वतः हो जाना कदापि नहीं तर्कसंगत-न्यायसंगत,
क्यों कि ऐसी प्रक्रिया गणतंत्र में गठित करती है विरोधाभासी पंगत !
पूर में हुई जन-धन हानि की पूर्ण उपेक्षा करके ये है इक पुनरावृत्ति,
क्या लोकतांत्रिक कहे जाने वाली सरकार की ऐसी ही होती दुर्वृत्ति ?

समय आगया है अब ऐसे दुष्शासन को अविलम्ब हटा के भगाने का,
जिसके लिए परमावश्यक है हमारे युवा-वर्ग में ही जागृति लाने का !.